भारतीय भाषाओं का महाउत्सव समन्वय 2015

इंडिया हैबिटाट सेंटर में भारतीय भाषा महोत्सव ‘‘समन्वय: 2015’’ के पांचवां संस्करण पिछले हफ्ते संपन्न हुआ। इस साल ‘‘समन्वय’’ की थीम है – इनसाइडर/आउटसाइडर – राइटिंग इंडियाज ड्रीम्स एंड रियलिटीज’’ रही और इस साल इस आयोजन के स्वरूप में काफी विस्तार हुआ है और इस साल के महोत्सव में क्यूरेट कला, अनुवाद से लेकर पाक प्रशंसा जैसे विषयों पर जाने-माने विद्वानों द्वारा कार्यशाला, पुस्तक विमोचन, इस महोत्सव के रिसोर्स व्यक्तियों के साथ स्कूलों में सामाजिक संपर्क कार्यक्रम, और कश्मीर, बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की पाक परंपराओं पर आधारित क्यूरेटड खाद्य स्टाल भी मुख्य आकर्षण रहे। 

प्रोफेसर एजाज अहमद ने महोत्सव के निदेशक एवं इंडिया हैबिटाट सेंटर के निदेशक श्री राकेश कक्कड़, दिल्ली प्रेस के श्री परेश नाथ, इंडिया हैबिटाट सेंटर के कार्यक्रम निदेश क श्री विदयुन सिंह, आईएलएफ समन्वय, 2015 के क्रिएटिव निदेशक रिजियो योहान्नन राज के साथ परम्परागत द्वीप का प्रज्वलन करके आधिकारिक तौर पर सम्मेलन का उद्घाटन
एजाज अहमद, राकेश कक्कड़, परेश नाथ, विदयुन सिंह, रिजियो योहान्नन राज द्वीप प्रज्वलन कर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए
इसके अलावा, इस साल के महोत्सव के दौरान लेखकों, अनुवादकों और प्रकाशकों को एक मंच पर लाया गया, जिस दौरान विभिन्न विषयों-किस तरह से कोई सृजक कभी इनसाइड और आउटसाइडर के रूप में रहता है-पर चर्चा हुई और मौजूदा समय की नब्ज को समझने तथा सामाजिक बदलाव के लिये काम करने में मदद मिली।
मुख्य संबोधन देने से पूर्व माक्र्सवादी साहित्यिक विचारक और राजनीतिक समीक्षक प्रोफेसर एजाज अहमद ने महोत्सव के निदेशक एवं इंडिया हैबिटाट सेंटर के निदेशक श्री राकेश कक्कड़, दिल्ली प्रेस के श्री परेश नाथ, इंडिया हैबिटाट सेंटर के कार्यक्रम निदेश क श्री विदयुन सिंह, आईएलएफ समन्वय, 2015 के क्रिएटिव निदेशक रिजियो योहान्नन राज के साथ परम्परागत द्वीप का प्रज्वलन करके आधिकारिक तौर पर सम्मेलन का उद्घाटन किया। 

prof ajaz ahmad
प्रोफेसर अहमद मुख्‍य भाषण करते हुए

यमुना एम्फीथिएटर में दिये गये अपने भाषण में, प्रोफेसर अहमद ने सामान्य संदर्भ में भाषा तथा विषेश संदर्भ में भारतीय भाषाओं के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने बताया कि भाषा और भारतीय भाषाओं ने किस तरह से भारत के नागरिकों के विकास में भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में राजनीतिक एकता हमें स्वभाविक तौर पर साहित्यिक अथवा भाषाई एकता प्रदान नहीं करती। इसलिये भारतीय साहित्य का अध्ययन ऐतिहासिक आधार पर होना चाहिये तथा इसे मुख्य तौर पर खास भाषाई परम्पराओं और क्षेत्रीय समूहों में समायोजित किया जाना चाहिये तथा इसपर उस माॅडल के आधार पर चर्चा की जानी चाहिये जिसे मैं ’’क्षेत्रीय भारतीय विश्व बंधुत्व’’ की संज्ञा देता हूं। विभिन्न भाषाई-साहित्यिक परंपराओं के सम्मिलन के बिन्दुओं के अलावा उनके सम्मिलन के कारणों एवं प्रभावों को सावधान अन्वेशण के आधार पर स्थापित किया जाना चाहिये। भाषाओं तथा परम्पराओं के बीच मौजूद सत्ता के श्रेणीबद्ध संबंधों की भी जांच होनी चाहिये तथा बहु भाषियता के सवाल का व्यापक तौर पर समाधान करने वाली शिक्षा की प्रणाली विकसित की जानी चाहिये। ऐसी प्रणाली में भाषाई-साहित्यिक और क्रियात्मकता के बीच के व्यापक संबंध को समझने की गुंजाइश होनी चाहिये।’’

इससे पूर्व शाम साढ़े पांच बजे इंडिया हैबिटाट सेंटर के गेट नम्बर 2 पर कला-अभिव्यक्ति का आयोजन आईएलएफ-समन्वय के आकर्षण का केन्द्र बन गया है। इसमें हमारे बेचैन समय में साहित्य के परे भाषाओं की व्याख्या एवं अभिव्यक्ति शामिल थी। इसमें कोच्चि-मुजिरिस बिनाले के सह संस्थापक रियास कोमू तथा कला-बुनकर प्रिया रविश मेहरा की कृतियों को प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा इसके अन्य आकर्षणों में कनिका आनंद द्वारा क्यूरेट की गई फोटोग्राफी प्रदर्शनी, चित्रकार वी रमेश, कार्टूनिस्ट ईपी नददल, क्रिस्टेल दावेदावसन के स्लाइड शो तथा गति नृत्य फोम की ओर से नृत्य फिल्म स्ट्रीमिंग के प्रति‍ भी दर्शकों में काफी उत्‍साह देखने को मि‍ला। 

ep unni, krishna parsad, cristal devadasan, hartosh singh bal
कार्टूनिस्ट ईपी उन्नी, कृष्णा प्रसाद, क्रिस्टेल देवादावसान व हरतोश सिंह बल

मुख्य भाषण के उपरांत, ‘‘श्रद्धांजलि और वार्तालाप: आम जन, असामान्य मन’’ आयोजित किया गया जिसके दौरान भारत के महान राजनीतिक व्यंग्यकार आर. के. लक्ष्मण की याद में एक भावप्रवण गहरी श्रद्धांजलि दी गयी। श्रद्वांजलि देने वालों में प्रमुख कार्टूनिस्ट ईपी उन्नी, कृष्णा प्रसाद, क्रिस्टेल देवादावसान के अलावा संचालक हरतोश सिंह बल भी शामिल थे। यह आयोजन उसी तरह से आयोजित किया गया जैसा आर. के. लक्ष्मण चाहते थे। प्रख्यात पैनल ने भारत में कार्टून कला की स्थिति पर चर्चा की और ईपी उन्नी ने कहा कि कार्टून अज्ञात स्थल के रूप में विकसित हुआ है जहां ‘‘छवि, पाठ और ध्वनि’’ मिलते हैं और विमर्श करते हैं।
इस अवसर बोलते हुये समन्वय 2015 के निदेशक और इंडिया हैबिटाट सेंटर के निदेशक श्री राकेश कक्कड़ ने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि चार साल पूर्व विभिन्न भाषाओं के मिलन स्थल के रूप में शुरू हुआ यह महोत्सव आज नई उंचाइयों को छू रहा है। इस मंच का यह प्रयास होगा कि लोग यहां जानने के लिये, आनंद लेने के लिये तथा विभिन्न भाषाओं के सौंदर्य और उनकी बारीकिरयों को समझने के लिये आयें। इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जायेगा कि दर्शक लेखन में निहित भावनाओं से अपने को संबद्ध कर सकें तथा उनके बारे में अपने विचार व्यक्त कर सकें।’’
शाम को भारत में निर्वासन में रह रहे तिब्बती कलाकारों – लोटेन नामलिंग, सोनम डोलमा और जामयांग ताशी ने बेहतरीन तिब्बती संगीत कार्यक्रम पेश किया।
L to R Sudhir Mishra, Vani Tripathi Tikkoo, Mayank Shekhar and Zeishan Quadri
सुधीर मि‍श्रा, वाणी त्रि‍पाठी टि‍क्‍कू, मयंक शेखर और जीशान कादरी
आईएलएफ समन्वय की क्रिएटिव निदेषक सुश्री रिजियो योहान्नान राज ने इस अवसर पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है, आईएलएफ समन्वय दरअसल उस समन्वय के मुख्य सिद्वांतों को व्यक्त करता है जो हमें रहने, कार्य करने तथा एक साथ रहने की अनुमति प्रदान करते हैं। ये सिद्धांत- सह-अस्तित्व, सहयोग, स्मरणोत्सव के हैं। इसका मतलब है कि आईएलएफ समन्वय केवल भारत में भाषा का वार्षिक समारोह नहीं है, बल्कि भाषाओं के सह-अस्तित्व के उन मौलिक मूल्यों को संस्थागत रूप देने के लिए किया जाने वाला एक लगातार उद्यम है और इसलिये विभिन्न संस्कृति जिसमें वास करती है और जिसमें परिलक्षित होती है और जिसका प्रतिनिधित्व करती है। यह भारत के लोकतांत्रिक बहुलतावाद की वास्तविकता एवं उसके सपनों को एक साथ लाता है जो बड़े स्तर पर पूरी दुनिया के लिये योगदान दे सकता है।’’
महोत्सव के दूसरे दिन तेनजिन सुंडू, भुचुंग सोनम, सेरिंग वांगमो के साथ वलंटीयजऱ् द्वारा तैयार सत्र आयोजित किया गया। आईएलएफ समन्वय टीम के युवा सदस्यों के द्वारा तैयार और एक साथ लाने वाला यह सत्र युवाओं की अधिक से अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने और लोकतांत्रिक और समावेशी होने के लिए महोत्सव के प्रयास को दर्शाता है। उसके बाद गोपाल गुरु के साथ बातचीत में जैरी पिंटो, उर्मिला पवार के द्वारा दो दलित आत्मकथाओं पर बातचीत हुई। इस सत्र में एक दलित पुरुष और महिला की आवाज के माध्यम से समाज, भाषा और लिंग से संबंधित विभिन्न मुद्दों की पड़ताल की गई। बीच-बीच में अनुवादकों  ने इसके अनुवाद पढ़े। अगले सत्र के पैनल में अरुनव सिन्हा (बांग्ला), सचिन केतकर (मराठी), ए. आर. वेंकटाचलापाथी (तमिल) और राक्षांदा जलील (हिंदी/उर्दू) ने इनसाइडर/आउटसाइडर के रूप में अनुवादक की स्थिति पर चर्चा की।
इनके अलावा, द फार्मेटिव बाॅडी ऐज ए लैंग्वेज आॅफ रेसिस्टेंस, आर्किटेक्चर्स आॅफ ट्रांसग्रेसन: आॅन राइटिंग डिजायर, थीम रीडिंग्स द राइटर ऐज इनसाइडर / आउटसाइडर, हीर पिथारा युवा कविता प्रतियोगिता, हीर- ए- पिथारा ट्विटर कविता प्रतियोगिता के विजेताओं का कविता पाठ और स्टिल डर्टी जीत थाईल के बैंड के द्वारा शाम के प्रदर्शन समन्वय 2015 के दूसरे दिन के मुख्य आकर्षण रहे।
साथ ही आर्ट-आर्टिकुलेशन्स का शुभारंभ भी शाम का मुख्य आकर्षण रहा। कोचीन-मुजिरिस बिनाले के सह-संस्थापक रियास कोमू, कलाकार-बुनकर प्रिया रवीश मेहरा, कनिका आनंद के द्वारा क्यूरेट किये गये परफार्मेंस फोटोग्राफी प्रदर्शनी आर्ट प्लाजा, कनिका आनंद की प्रदर्शनी, चित्रकार वी रमेष के द्वारा क्यूरेट किये गये स्लाइड शो, फिल्म स्ट्रीमिंग और वीडियो इंस्टालेशन, कार्टूनिस्ट ई. पी. उन्नी, गति नृत्य फोरम की येलो लाइन परियोजना, कार्टून आलोचक और लेखक क्रिस्टेल डवेडवसन के कुछ चुनिंदा राजनीतिक कार्टूनों में दर्शकों ने काफी दिलचस्पी ली।
उत्सव के तीसरे दिन दक्षिण भारत के विख्यात साहित्यकार पेरूमल मुरूग्न को आईएलएफ समन्वय भाषा सम्मान और अतूर रवि वर्मा को वाणी अनुवाद सम्मान प्रदान किया गया। शुभ्रो बंधोपाध्य, दोलोनोचम्पा चक्रवर्ती औश्र रामकुमार मुखोपाध्य ने बंगाली, बलवंत ठाकुर, ललित मंगोटा और प्रोमिला मनहांस ने डोगरी, इरावती कार्निक, वैभव अभावने, मकरंद साठे और धर्माकृति सुमंत ने मराठी, टीमए कृष्णा, शर्मिला सैय्यद, एआर वेंटचलपति और कन्नन सुंदरम ने तामिल भाषाओं पर चर्चा में भाग लिया। शाम को हुए आयोजन में टीएम कृष्णा का कार्नटिक संगीत का कार्यक्रम भी खूब पसंद किया गया।
main hijra laxmi narayan tripathi
लक्ष्‍मी नारायण त्रि‍पाठी अपनी कि‍ताब मैं हि‍जड़ा के बारे में चर्चा करते हुए
कार्यक्रम के अंतिम दिन सृजनात्मक प्रतिरोध सिनेमा एक विकल्प विषय पर चर्चा करते हुए सुधीर मिश्रा, जीशान कादरी और सेंसर बोर्ड के सदस्य वाणी त्रिपाठी टिक्कू ने सिनेमा के क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। दूसरे सैशन में तकनीक के विषय पर बातचीत करते हुए ज्योति नरूला रंजन, अमित पसरीचा और मधुश्री दत्ता ने अपने निजी अनुभवों से कला और तकनीक के संगम की बानगी पेश की। अगले सैशन में मनाभी बंधोपाध्य, जे देविका ने सेक्सुलेटिली और जेंडर विषय पर अपनी जि़ंदगी से जुड़े अनुभव साझा किए। एक और सैशन में लेखक रियास कोमू ने पाकिस्तान से जुड़े अनुभव साझा किए। भक्ति कवियों पर चर्चा करते हुए प्रिया सारूकई छाबडि़या, एचएच शिवा प्रकाश और अरूंधती सुब्रमणियम ने दक्षिण के भक्ति कवियों के अनुवाद का पाठ किया। अमन नाथ ने दिल्ली की भवन निर्माण कला पर अपने विचार देते हुए पुरानी विरासत को संभालने की अहमियत पर ज़ोर दिया जबकि आयशा किदवई ने दिल्ली की भाषा और संस्कृति की बात करते हुए एक उर्दू लेखक के बहुभाषायी होने की वकालत की। विजय धसमाना ने दिल्ली के पर्यावरण संरक्षण में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।
अंतिम दिन पर उत्सव निदेशक राकेश ककड़ ने उत्सव के दौरान किए गए नए प्रयोगों की सफलता पर सभी को बधाई दी और क्रिएटिव डाॅयरेक्टर रिज़ीयो योहान्ना राज ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समन्य टीम के सदस्यों और सहयोगियों का धन्यवाद किया।
-ज़ोरदार डेस्‍क

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