उनकी नीयत बनाम जियो की नीयति
जियो इंस्टीच्यूट के पैदा होने से पहले ही उसे ‘इंस्टीच्यूट ऑफ एमिनेंस’ का तमगा देने पर बवाल मचा हुआ है, जियो इंस्टीच्यूट की नियति क्या होगी यह तो भविष्य तय करेगा, लेकिन इस फ़ैसले ने सरकार की देश की शिक्षा नीति और देश के नौजवानों के भविष्य को लेकर नीयत एक बार फिर साफ़ कर दी है। एक तरफ़ सरकार ने जहां 17 दिग्गज़ों की कमेटी बना कर उन्हें भारत के इतिहास का भगवाकरण करने के काम पर लगाया हुआ है तो दूसरी तरफ़ तेज़ी से समूचा शिक्षा ढांचा और नीति कॉरपोरेट और निजी फ़ायदे के अनुरूप ढाली जा रही है। ऐसे में जियो इंस्टीच्यूट के नामो निशान तक ना होने के बावजूद उसे उत्कषर्टता का अस्थायी दर्जा देना भी हैरान करने वाली बात नहीं है। बल्कि इस कदम से सरकार ने तो खुले तौर पर ऐलान कर दिया उसकी शिक्षा नीति की दिशा और दशा क्या होगी और उसे किससे हित सर्वोपरि हैं। क्या है भला क्या है इंस्टीच्यूट ऑफ एमिनेंस है? जाननें के लिए क्...