तीन साल पहले के मुकाबले भारत में शहरी महिलाएं को इन दिनों दिल के रोगों का गंभीर ख़तरा है। इसके कारणों में अत्यधिक टरांस फैट, चीनी और नमक वाला आहार लेना, बहुत कम शारीरिक व्यायाम, बढ़ता तनाव, शराब और सिगरेट जैसे हानिकारक पदार्थों की लत सहित अन्य कई चीज़ें शामिल हैं। दिल के रोगों का ख़तरा सबसे ज़्यादा 35 से 44 साल की उम्र की महिलाओं को है। इन रोगों का ख़तरा घरेलु महिलाओं को भी उतना ही है जितना कामकाजी महिलाओं को है। इन रोगों के ख़तरे में लो एचडीएल और हाई बीएमआई दो ऐसे बेहद आम कारण है जो महिलाओं में दिल के रोगों का ख़तरा 35 साल की छोटी उम्र में भी बढ़ा देते हैं।
Heart Disease in Urban Women |
इस बारे में जानकारी देते हुए हार्ट केयर फाउंडेशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष एवं आईएनए के आॅनरेरी सेक्रेटरी जनरल डाॅ केके अग्रवाल ने बताया, “पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में दिल के रोगों की मौजूदगी ही इसके पता चलने को और मुश्किल कर देती है। उदाहरण के लिए महिलाओं में यह रोग पुरूषों के मुकाबले 10 साल देर से आता है और इसमें ख़तरा ज़्यादा होता है। महिलाओं में दिल के रोग के दौरान आम तौर पर होने वाला आम सीने का दर्द भी बहुत कम होता है और टरेडमिल टैस्ट में भी उच्च स्तर का पाॅजिटिव रेट गल्त हो सकता है। महिलाओं के लक्ष्ण भी पुरूषों से भिन्न होते हैं।
महिलाओं में अक्सर शुरूआत में दिल का दौरा पड़ने जैसे स्पष्ट संकेत मिलने की बजाए सीने का दर्द होता है। बहुत सारे मामलों में औरतों को पड़ने वाला दिल का दौरा भी नज़रअंदाज़ हो जाता है। छोटी नाड़ी का रोग भी आम तौर पर महिलाओं में ज़्यादा पाया जाता है।
महिलाओं में दिल के रोग होने के स्थापित कारणों में पहले कभी दिल में ब्लाॅकेज होना, उम्र 55 साल से ज़्यादा होना, हाई एलडीएल यानि बैड कोलेस्टराॅल और लो एचडीएल यानि गुड कोलेस्टराॅल, डायब्टीज़, धुम्रपान, उच्च रक्तचाप, पेरिफेरल धमनी रोग या परिवार में पहले से किसी को दिल का रोगा होना शामिल हैं।
महिलाओं में जो कारण पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा प्रभावी होते है। उनमें नियमित तौर पर तंबाकु का सेवन प्रमुख है क्योंकि महिलाओं में 50 प्रतिशत रक्त धमनी रोग इसी की वजह से पैदा होते हैं, इसके साथ ही मोटापा और डाॅयब्टीज़ भी शामिल हैं।
इस तरह बचें दिल के रोगों से-
- हफ्तें में 30 मिनट की मध्यम दर्जे की शारीरिक गतिविधियां और 60 से 90 मिनट की वज़न को नियंत्रिण करने की गतिविधियां अवश्य करें।
- सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से धुम्रपान करने से बचें।
- अपनी कमर का आकार 35 इंच से कम रखें।
- दिल की सेहत अच्छी रखने वाला आहार लें।
- अगर शरीर में टरिगलीसाईड का स्तर ज़्यादा हो तो आहार में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड का प्रयोग करें।
- कोलेस्टराॅल, उच्च रक्तचाप और डाॅयब्टीज़ नियंत्रण में रखें।
- जो औरतें धम्रपान करती हैं वह मुंह से लेने वाली गर्भनिरोधक दवाएं ना लें।
- अगर आपकी उम्र 65 साल से ज़्यादा है तो 80 एमजी एसप्रिन लें।
- अप्रत्यक्ष तनाव को दूर करें।
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