आधुनिक आहार का सबसे ख़तरनाक तत्व बन गई है रिफाईंड चीनी
प्राचीन भारत हमेशा से चीनी और मीठे को आहार का मूलभूत हिस्सा मानता रहा है। भारतीय चीनी व्यपार के 2013 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में ब्राज़ील के बाद चीनी का दूसरे नम्बर का उत्पादक और चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता भारत है। सक्रोज़ और हाई फ्रुकटोज़ काॅर्न सिरप जैसी रिफाईंड चीनी में कैलरीज़ की भारी मात्रा होती है और पोषक तत्व बिल्कुल नहीं होते। निधार्रित से 10 से 20 प्रतिशत ज़्यादा चीनी का सेवन करने पर सेहत पर इसके काफ़ी दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। इसका पाचन तंत्र पर काफी बुरा असर पड़ सकता है और जीवनशैली की अनेक बीमारियों का कारण बन सकती है।
आईएमए के नैशनल प्रेसीडेंट एंव एचसीएफआई के प्रेसीडेंट पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल और आईएमए के जनरल सेक्रेटरी डाॅ आरएन टंडन ने बताया कि चीनी में सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह रक्त वाली धमनियों की दीवारों में गंभीर सूजन लाती है। ज़्यादा चीनी खाने से इनसुलिन में बढ़ोतरी होती है जिससे धमनियों की नाज़ुक दीवारें क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। यही नहीं ज़्यादा सेवन से रक्त के ज़मने और प्लाॅक जमने का अनुपात भी बढ़ जाता है। जिससे रक्त की पूरी संचार प्रणाली में सूजन आ जाती है और दिल के रोग व स्ट्रोक होने का ख़तरा पैदा हो जाता है। चीनी से नसों के क्षतिग्रस्त होने का ख़तरा भी रहता है, ताज़ा अध्ययन में ज़्यादा चीनी के सेवन से जल्दी याददाश्त कमज़ोर होने का भी पता चला है।
चीनी से वज़न भी बढ़ता है इसके साथ इनसुलिन बढ़ने से शरीर में इनसुलिन की प्रतिरोधक क्षमता पैदा होने और डायब्टीज़ होने का कारण भी बनता है, जिससे दिल के रोग होने का ख़तरा बढ़ जाता है। रिफाईंड चीनी पाचनतंत्र के लिए भी ख़तरनाक होती है, जिन्हें कार्बोहाइड्रेटस पचाने में परेशानी होती है, उनके लिए यह ज़्यादा नुकसानदायक हो सकता है। यहां तक कि सफ़ैद चीनी महिलाओं में हर्मोन्स का असंतुलन बढ़ा सकते हैं जिससे महिलाओं में पुरूषों वाले लक्ष्ण आने वाला विकार भी हो सकता है, जैसे कि चेहरे पर बाल आना या गर्भाशय का काम ना करना आदि। इसकी जगह पर गन्ना, शहद और गुड़ जैसे प्राकृति मीठे अपनाना बेहतर रहता है। इनमें चीनी फाइबर से जुड़ी रहती है और सेहतमंद होती है।
डाॅ अग्रवाल बताते हैं कि किसी भी फाइबर से निकाली गई चीनी जैसे फलों से निकाली गई चीनी के सेवन से पूरे शरीर मे रक्त में असंतुलन पैदा हो सकता है और लंबे समय तक ऐसा रहने से सेहत की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान-
हाई फ्रुकटोज़ काॅर्न सिरप वाली चीनी से दूर रहें। लेबल पर इसकी मात्रा ज़रूर देखें।
गन्ना, शहद और गुड़ जैसे प्राकृति मीठे अपनाएं
दिन में तीन बड़े आहार लेने की बजाए थोड़े थोड़े समय बाद छोटे छोटे आहार लें। इस तरह पूरा दिन आप ज़्यादा तृप्त महसूस करेंगे और आप अस्वस्थ चीज़ें खाने से बचेंगे।
शराब का सेवन सीमित करें। इसमें काफ़ी सारी चीनी छुपी होती है।
ब्रैड और ब्रैड के उत्पाद कम से कम प्रयोग करें। ख़ास कर जो गेहूं से बने हो। गेहूं में टेबल शूगर से ज़्यादा ग्लेसिमिक इंडेक्स होता है। सफ़ैद चावल और सफ़ैद मैदे से भी जितना हो सके परहेज़ रखें।
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