कई ज़िलों की पुलिस अमृतपाल सिंह के पीछे लगी थी। चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा है। हर रास्ते पर नाकेबंदी है। फिर आखिर इतनी बड़ी फोर्स को चकमा दे कर अमृपताल सिंह कैसे भाग सकता है? आखिर पूरे रूट पर क्या हुआ? आखिरी वक्त तक अमृतपाल सिंह के साथ रहे उन के चाचा और ड्राईवर ने एक इंटरव्यू में खुलासे किए हैं। पंजाब पुलिस उन के दावों को सही नहीं बता रही है।
कैसे शुरू हुआ ऑपरेशन?
अमृतपाल सिंह 18 मार्च 2023 को सुबह करीब 7 बजे अपने घर से चले। अमृतसर में पड़ते गांव जल्लूपुर खेड़ा से वह अपने काफ़िले का साथ निकले। पिछली रात वह देर से घर पहुंचे थे और रात यहीं बिताई थी। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें पंजाब के ज़िला मुक्तसर साहिब पहुंचना था। वहां से 19 मार्च को उन्हें 13 अप्रैल को बैसाखी तक चलने वाले धार्मिक मार्च की शुरूआत करनी थी।
पिता तरसेम सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा है कि अगर अमृतपाल सिंह को गिरफ़्तार ही करना था तो पुलिस उसे सुबह घर से ही पकड़ सकती थी। तरसेम सिंह कहते हैं कि उनका बेटा अपने रूटीन धार्मिक प्रचार के लिए घर से निकला था। कोई जानकारी नहीं थी कि उसे गिरफ़्तार किया जाना है।
असल में अजनाला थाना घटना के बाद से ही पंजाब सरकार की काफ़ी किरकिरी हो रही थी। पंजाब पुलिस अमृतपाल सिंह पर कार्यावाही करने की तैयारी कर रही थी।
क्यों बदला रास्ता?
पंजाबी चैनल को दिए इंटरव्यू में हरजीत सिंह कहते हैं कि घर से चलते वक्त अमृतपाल सिंह अपनी मर्सिडीज़ में अगली सीट पर बैठे थे। हरजीत सिंह जो कि अमृतपाल सिंह चाचा बताए जा रहे हैं, वह गाड़ी चला रहे थे। पिछली सीट पर अमृतपाल सिंह के साथी और ड्राईवर हरप्रीत सिंह बैठे थे। उनके पीछे दो एंडेवर कारें और एक इस्ज़ूज़ू गाड़ी चल रही थी। पहले वह हरीके पत्तण से होते हुए मोगा की तरफ़ जाना चाहते थे। लेकिन उन्हें सूचना मिली कि हरीके पत्तण हैडवर्क्स पर भारी पुलिस नाका लगा हुआ है।
हरजीत सिंह का दावा है कि उन्हें नहीं पता था कि पुलिस अमृतपाल सिंह को गिरफ़्तार करना चाहती थी। उन की सोच थी कि शायद पुलिस उन्हें मुक्तसर साहिब पहुंचने से रोकना चाहती है। इस लिए उन्होंने फ़ैसला किया कि वह दूसरा रास्ता लेकर सुलतानपुर लोधी होते हुए मोगा के रास्ते मुक्तसर साहिब पहुंचेंगे। सुल्तानपुर लोधी से जब वह मोगा के तरफ चले तो टोल-प्लाज़ा पार करते ही रास्ते में एक पुलिस ट्रक लगा कर उन्हें रोकने की कोशिश की। यू-टर्न लेकर वापिस सुल्तानपुर लोधी की तरफ़ चलने लगे हरजीत सिंह बताते हैं।
नहीं रोका पुलिस ने
वापिस लौटने वाले हाईवे पर उन्हें एक और पुलिस नाका मिला, लेकिन वहां पर उन्हें रोका नहीं गया। हरजीत सिंह बताते हैं कि उन्हें लगा कि पुलिस उन्हें किसी भी रास्ते से मुक्तसर साहिब ना जाकर वापिस भेजना चाहती है। इसी दौरान उन के पीछे बहुत सारी पुलिस की गाड़ियां आ गई। उन्होंने एक ओवरब्रिज की साईड पर मर्सिडीज़ रोक दी। तब तक पुलिस की गाड़ियां उनके काफ़िले के पीछे आ चुकी थी। उन्होंने गाड़ी से उतर कर उन से बात करने का फ़ैसला किया। तब तक अमृतपाल मर्सीडिज़ में अगली सीट पर बैठे हुए थे।
गायब हो गए अमृतपाल सिंह
हरजीत सिंह ड्राईवर सीट से उतर कर पीछे की तरफ पैदल चल कर जाने लगे। काफ़िले के पीछे पहुंच कर करीब आ चुकी पुलिस की गाड़ी में सिविल कपड़ों में पुलिस वालों से उन्होंने बात करने की कोशिश की। हरजीत बताते हैं कि उन्होंने पुलिस वालों से पूछा कि क्या बात है। उनका पीछा क्यों किया जा रहा है। हरजीत का दावा है कि सामने से पुलिस वालों ने कोई जवाब नहीं दिया। तब तक भी उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का कोई अंदेशा नहीं था। वह मर्सिडीज़ के पास लौट आए। उन्होंने देखा कि काफ़िले की बाकी गाड़ियां जा चुकी थी। अमृतपाल और उनके साथी भी मर्सिडीज़ में नहीं थे।
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140 पर भगाई मर्सिडीज़
आरोप है कि हरजीत सिंह ने मर्सिडीज़ को 140 की स्पीड पर भगाया। पुष्टि करते हुए हरजीत बताते हैं कि उन्हें लगा कि काफ़िला बीच के रास्ते से मुक्तसर साहिब के लिए निकल गया है। ख़ुद को अलग-थलग पाकर उन्होंने पास की लिंक रोड की तरफ़ जाने का फ़ैसला किया। ड्राइवर हरप्रीत सिंह उनके साथ था। पीछे आती और पुलिस की गाड़ियों को देखते हुए उन्होंने मर्सिडीज़ 140 की स्पीड से भगाते हुए कार को महतपुर की तरफ़ लिंक रोड पर डाल दिया। लेकिन आगे रास्ता ना मालूम होने की वजह से वह वहीं पर रुक गए।
छिपे कहां?
दावा करते हुए हरजीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने दिन रात कार को कहीं किनारे लगा कर वहीं बैठ कर बिताया। तब उनका फ़ोन भी बंद था। फिर उन्होंने जानकारी लेने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि अमृतपाल को गिरफ़्तार करने की कोशिश की जा रही है। काफ़ी सारे साथी पकड़े गए हैं। बताते हैं कि उन्होंने सोचा कि अगर वह गाड़ी लेकर बाहर निकलेंगे तो कहीं पर भी पुलिस उन्हें पकड़ सकती है।
सरेंडर किया?
आत्म-समर्पण के बारे में उनका कहना है कि वह पहले से डीआईजी बॉर्डर रेंज नरिंदर भार्गव के संपर्क में थे। तभी हरजीत सिंह ने भार्गव को फ़ोन कर आत्म-समर्पण करने की बात कही। 19-20 मार्च को देर रात करीब 2 बजे पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। पहले उन्होंने कुछ चैनल्स को फोन कर अपने आत्म-समर्पण की जानकारी दी। प्रो-पंजाब टीवी के पत्रकार गगनदीप सिंह ने मौके पर जाकर उनका इंटरव्यू किया। यह पूरी रिपोर्ट उसी इंटरव्यू के आधार पर लिखी गई है। ज़ोरदार टाईम्स चैनल और अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह के दावों की पुष्टि नहीं करता है।
क्या दावा, क्या बरामद?
अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह ने दावा किया कि उन्हें लगता है पुलिस अमृतपाल को गिरफ़्तार कर चुकी है। अपनी गिरफ़्तारी देने से पहले उन्होंने मीडिया के कैमरे के सामने दिखाया कि उनके पास एक लाइसेंसशुदा पिस्तौल है। यूके का पासपोर्ट भी उन्होंने कैमरे पर दिखाया। नगद राशि से भरा एक बैग दिखाते हुए हरजीत सिंह ने दावा किया कि उनके पास करीब लाख रुपए हैं जो संगत ने दान किए हैं। कुछ ही देर बाद पुलिस आई तो उन्होंने अपना हथियार, नगदी, पासपोर्ट और मर्सिडीज़ कार पुलिस को सौंप कर आत्म-समर्पण कर दिया। यह सारा कुछ प्रो-पंजाब के चैनल पर लाईव दिखाया गया।
क्या कहते हैं आईजी पंजाब पुलिस?
इसी दौरान पंजाब पुलिस के आईजी हेडक्वाटर सुखचैन सिंह गिल ने चंडीगढ़ में प्रैस कान्फ्रेंस कर जानकारी दी कि अमृतपाल सिंह अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगा है। उनके पकड़े गए चार साथियों को आसाम की डिब्रुगढ़ जेल पहुंचा दिया गया है। देर रात पकड़े गए हरजीत सिंह को भी डिब्रुगढ़ भेजा गया है। आईजी गिल ने इस सब अमृतपाल के करीबियों पर एनएसए एक्ट के साथ-साथ विभन्न धाराओं में कई एफआईआर दर्ज़ की जाने की बात कही है।
सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि पंजाब पुलिस सारा ऑप्रेशन कानून के अनुसार चला रही है। पत्रकारों के पूछे जाने पर कि अमृतपाल सिंह के पिता और चाचा का दावा है कि अमृतपाल सिंह पुलिस की हिरासत में ही हैं का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अभी तक पुलिस अमृतपाल सिंह को पकड़ नहीं पाई है। वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के वकील द्वारा अदालत में डाली गई पटीशन के बारे में गिल ने कहा कि पंजाब पुलिस कानून के अनुसार समय आने पर कोर्ट में जवाब दाख़िल करेगी।
मीडिया से बातचीत करते हुए आईजी गिल ने लोगों से अपील की कि वह अफवाहों पर ध्यान ना दें। शांति बनाए रखें। चेतावनी देते हुए उन्होंने मीडिया को भी कहा कि वह अपुष्ट खबरें ना चलाए और ना ही सोशल मीडिया पर शेयर करे। पांच पत्रकारों के ट्विटर ख़ातों पर पाबंदी लगाए जाने पर गिल ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
अब देखना होगा कि पंजाब पुलिस अमृतपाल को गिरफ़्तारी का ऐलान कब तक कर पाती है।
आगे जानिए: कौन हैं पकड़े गए अमृतपाल सिंह के समर्थक
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