आयरन की कमी और इलाज

2016- 2011 में वल्र्ड हैल्थ ओर्गेनाईज़ेशन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 49 साल की 48 प्रतिशत भारतीय महिलाओं में एनिमिया पाया जाता है। इसका मतलब है लगभग आधी भारतीय महिलाएं अपने जीवन के अहम दौर में आयरन की कमी से पीड़ित हैं।

 

इस बारे में जानकारी देते हुए हार्ट केयर फाउंडेशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डाॅ केके अग्रवाल ने बताया कि आयरन एक ऐसा खनिज है जो हमारी सेहत के लिए अहम भूमिका निभाता है। इसके बिना शरीर की कई प्रक्रियों में गड़बड़ हो जाती है। हमारे देश में आयरन की कमी के बढ़ते मामले और इसके लोगों की सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुए इस की नियमित जांच और इलाज के बारे में जागरूकता फैलाने बहुत ज़रूरी है। आयरन आक्सीजन को हमारे शरीर के हर सैल में ले जाने का काम करता है। यह होमोग्लोबिन का अहम हिस्सा है, लाल रक्त कणों में मौजूद प्रोटीन आक्सीजन को फेफड़ों में लेकर जाता है और पूरे शरीर में पहुंचाता है। आयरन की कमी से एनिमिया हो सकता है, जिससे हीमोग्लोबीन की कमी हो सकती है। बच्चा पैदा करने की उम्र में महिलाओं को आयरन की कमी होने का ख़तरा ज़्यादा रहता है क्योंकि मासिक धर्म के समय रक्त के रिसाव से आयरन की कमी हो जाती है और आयरन की ज़्याद ज़रूरत होती है। आयरन की कमी वाले एनिमिया से गर्भधारण के दौरान बच्चे के छोटे या जल्दी पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है, जल्दी या छोटा पैदा हुए बच्चे को पहले साल में कई समस्याओं से जूझना पड़ता है और उसकी मौत भी हो सकती है।

आयरन की कमी से बच्चे के चलने फिरने और अन्य गतिविधियों में भी देरी हो सकती है या सोचने समझने की शक्ति भी कमज़ोर हो सकती है।
आयरन की कमी की जांच और इलाज
कमज़ोरी, काम में कमी और स्कूल में पूरा काम न कर पाना, सामजिक विकास में धीमापन, शरीर के तापमान में गड़बड़ी, एम्यून फंक्शन में कमी, और जीभ में सूजन आदि आयरन की कमी के लक्ष्ण हैं। रक्त की जांच से आयरन की कमी का पता चलता है। आहार में बदलाव और आयरन स्पलीमेंट्स से आयरन की कमी का इलाज किया जा सकता है।
कुछ लक्ष्ण
थकावट- केवल कमज़ोरी या थकावट आयरन की कमी का लक्ष्ण नहीं हो सकता लेकिन बाकी संकेतों से मिल कर यह लक्ष्ण बन जाता है।
ज़्यादा रक्त स्राव- अगर हर महावारी में काफी ज़्यादा रक्त रिसाव होता है तो आपकी शारीरिक समस्या बढ़ रही है जो आयरन की कमी का कारण बनेगी।
सांस संतुलित करने में मुश्किल- आयरन आक्सीजन को हमारे शरीर के हर सैल में ले जाने का काम करता है। इसकी कमी से सांस फूलने लगती है।
अनियमित धड़कन- लंबे समय तक एनिमिया से धड़कन अनियमित हो सकती है और अन्य दिन की समस्याएं भी। यह मौजूदा दिल की समस्याओं को बढ़ा भी सकता है।
सिरदर्द- अगर लगातार आपका सिरदर्द होता रहता है तो आपकी आयरन की कमी की जांच करवानी चाहिए। इसकी कमी से दिमाग में नसों में सूजन आ सकती है।
बेचैनी- आयरन की कमी से शरीर की आॅक्सीजन की प्रणाली पर असर पड़ता है, जिससे बिना कारण के बेचैनी हो सकती है।
बाल गिरना- बालों का गिरना शरीर में आयरन की गंभीर कमी का संकेत होता है तब हमारा शरीर आक्सीजन बचाने के लिए काफी मुशक्कत कर रहा होता है।
गर्भअवस्था- गर्भअवस्था के दौरान शरीर में रक्त की मात्रा तब तक बढ़ती रहती है जब तक यह सामान्य मात्रा से 50 प्रतिशत अधिक नहीं हो जाता। ख़ास तौर पर गर्भअवस्था के दूसरे हिस्से में रक्त की जांच के साथ ही अपने आयरन के स्तर की जांच करवाते रहें।
इनफलेमेट्री बाॅओल डिसीज़- आईबीडी से आपके शरीर में आयरन सहित पौष्टिक तत्वों को सोखना मुश्किल हो सकता है। आपको कमी पूरी करने के लिए ज़्यादा आयरन या सप्लीमनेटेशन लेने की आवश्यकता पड़ती है।

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