लेखक पर हमला, पत्रकार गिरफ्तार और एनआरआई के रिश्तेदार गायब
पूरे देश में जहां एक तरफ सहिष्णुता का मुद्दा अनुपम खेर बनाम आमीर ख़ान होकर रह गया है, पंजाब में एक बाद एक हुई तीन घटनाओं से असहिष्णुता का संक्रमण रोग इधर भी बढ़ता लग रहा है। तीन अलग-अलग घटनाओं में असहिष्णुता का प्रकोप एक पंजाबी लेखक, एक पत्रकार और एक एनआरआई के युवा रिश्तेदार को सहना पड़ा है।
समर्थकों द्वारा बलतेज पन्नू के समर्थन में सोशल मीडिया पर शेयर किए गए पोस्टर व पटिलाया अदालत में आज पेशी के दौरान पन्नू |
पहली घटना कुछ दिन पहले गुरदासपुर की बताई जा रही है जहां पर पंजाबी लेखक मक्खण कुहाड़ पर हमला कर उन्हें ज़ख्मी कर दिया गया। हमले का कारण राजनैतिक विचारों के मतभेद बताए जा रहें हैं। बताते चलें कि मक्खण कुहाड़ पंजाब के कई प्रमुख साहित्य संगठनों से जुड़े हैं और सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर होने वाले कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। इसके अलावा गुरदासपुर में ज़मीन के कब्ज़े के मामले में गठित एक मोर्चे के संयोजक भी हैं। कह जा रहा है कि सरकारी शह पर भू-माफिया ने हमला करवाया है। पंजाबी साहित्य अकादमी के प्रतिनिधियों ने इस हमले की घोर निंदा करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
दूसरी घटना शुक्रवार की बताई जा रही है जब पटियाला में रह रहे एनआरआई पत्रकार बलतेज पन्नू को बाज़ार से ग्रिफतार कर लिया गया। प्राप्त सूचना के मुताबिक किसी महिला द्वारा उन पर कई साल तक यौन उत्पीड़न करने की शिकायत दर्ज करवाई गई, जिसके चलते उन पर यह कार्रवाही बताई जा रही है, जबकि पन्नू के करीबियों के अलावा, बुद्धजीवी और पत्रकार भी उन्हें साजिश में फंसाने की बात कह रहे हैं। पन्नू लंबे अर्से से देश और विदेशों में मौजूद सरकार के खिलाफ लिखते रहे हैं। प्रतिदिन सोशल मीडिया के ज़रिए भी वह सत्ताधारी नेताओं पर सवाल उठाते रहे हैं। यही नहीं उन्होंने नशीले पदार्थों की तस्करी के मामलों में पंजाब के कई बड़े नेताओं का नाम लेकर भी सीधे सवाल किए थे। कुछ दिन पहले ही उन्होंने ऐसी किसी भी घटना होने की आशंका जताई थी। शनिवार को पटियाला जि़ला अदालत ने उन्हें एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। आप के पंजाब से सांसद धर्मवीर गांधी निष्पक्ष जांच की मांग की है। पन्नू के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर कैनेडा सरकार के नाम एक पटीशिन तैयार कर उनकी रिहाई के लिए समर्थन मांगा जा रहा है, जिसमें पत्रकार और लेखक वर्ग बढ़-चढ़ समर्थन दे रहे हैं।
एक अन्य घटना में कैनेडा रह रहे एनआरआई रघवीर सिंह भरोवाल के नज़दीकियों का आरोप है कि भरोवाल ने सोशल मीडिया पर हाल ही के दिनों में सत्ताधारी अकाली दल के खि़लाफ कुछ बातें लिखी, यहां तक कि उसने बठिंडा में हुई सदभावना रैली के रद्द होने की झूठी अफवाह भी अपने फेसबुक के ज़रिए सांझी की। इससे नाराज़ यूथ अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष मनजिंदगी सिंह सिरसा ने पंजाब में रहते उनके रिश्तेदार जो ख़ुद अकाली दल के नेता है और रघबीर सिंह भरोवाल के साले जगदीप सिंह को सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाने की धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। तब से उनका कोई अता-पता नहीं है। आम आदमी पार्टी पंजाब के किसान और मज़दूर विंग के महासचिव अहबाब सिंह ग्रेवाल ने दावा किया है की इस घटना से लगने लगा है की ‘काले दिन’ पंजाब में वापस आ गए। उनका कहना है कि 25 नवंबर की शाम को लुधियाना के इंस्पेक्टर द्वारा उठाया जा चुका है और किसी अज्ञात ठिकाने पर रखा गया हैं। उच्च पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने पर लापता युवा का कोई भी पता नहीं चल रहा और वह इसकी कोई भी जानकारी से इंकार करते हैं। इसीलिए कहीं कोई सुराग ना मिलने पर, हर तरफ से दुखी हो उसके परिजनों ने आम आदमी पार्टी से संपर्क किया।
इन सभी मामलों में सोशल मीडिया पर पीडि़तों के समर्थन में उफान आ गया है। इन तीनों घटनाओं में पीडि़तों के समर्थक इसे सरकार द्वारा बोलने की स्वतंत्रा पर हमला बता रहे हैं।
-जोरदार डेस्क
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